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सावन के अंतिम सोमवार शनि प्रदोष योग, ऐसे मिलेगी साढ़े साती-ढैय्या से राहत

发帖时间:2023-09-15 04:01:13

सावन के महीने के अधिष्ठाता भगवान शिव हैं जो कि शनिदेव के गुरु हैं. सभी ग्रहों और समय को नियंत्रित करने के कारण उनको महाकाल कहा जाता है. शनि की कुदृष्टि और पीड़ा से केवल भगवान शिव या उनके अंशावतार हनुमान जी ही बचा सकते हैं. इसलिए सावन में शनिदेव की उपासना करने से न केवल शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है,सावनकेअंतिमसोमवारशनिप्रदोषयोगऐसेमिलेगीसाढ़ेसातीढैय्यासेराहत बल्कि वर्ष भर शनिदेव की पूजा की विशेष आवश्यकता नहीं रहती. इस बार सावन के अंतिम शनिवार को प्रदोष का भी संयोग है, जो कि बेहद फलदायी है. इस बार सावन का अंतिम शनिवार, 1 अगस्त को है.अगर कुंडली में शनि के कारण संतान बाधा आ रही हो तो शनि प्रदोष को पूजा करना विशेष फलदायी होता है. अगर संतान पक्ष से सुख नहीं मिल रहा हो तो भी शनि पूजा से लाभ होता है. अगर विशेष उपाय किए जाएं तो शनि संबंधित सारे दोष सावन के इस शनिवार को समाप्त किए जा सकते हैं.अगर शनि की मारक दशा चल रही हो तो भगवान शिव और शनि की संयुक्त उपासना से चमत्कारिक लाभ होगा. सावन के शनिवार के दिन शनिदेव के निमित्त किया गया दान कभी निष्फल नहीं होता. शाम के समय पीपल के वृक्ष में जल डालें. शिव मंदिर में एक घी का दीपक जरूर जलाएं. इसके बाद शनि के वैदिक मंत्र का कम से कम 3 माला जाप करें. वैदिक मंत्र होगा "ॐ शं शनैश्चराय नमः". काली वस्तुओं का निर्धन व्यक्ति को दान करें.शाम के समय शिव जी के मंदिर में जाएं. शिव लिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं , रुद्राक्ष भी अर्पित करें. इसके बाद वहीं बैठकर पहले "ॐ हौं जूं सः" का 108 बार जाप करें. फिर शनि के तांत्रिक मंत्र का 108 बार जाप करें. तांत्रिक मंत्र है. "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः". अर्पित किया हुआ रुद्राक्ष धारण कर लें, आपकी रक्षा होगी.प्रातःकाल एक पीपल का पौधा लगाएं. उसकी देखभाल करें. शाम को शिव मंदिर जाएं. शिवजी को जल, गौरी मां को लाल फूल और गणेश जी को दूब अर्पित करें. अपनी मनोकामना नंदी के कान में कहें. अगर ये प्रयोग पति पत्नी एक साथ करें तो उत्तम होगा.

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